श्लोकार्घेन प्रवक्ष्यामि यदुक्तं ग्रन्थकोटिभिः। ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापरः।
मैत्री, करुणा & उपेक्षा
Maitri, Karuṇā & Upekṣā.
Friendship, compassion & equanimity.
Reference:
https://twitter.com/subhash_kak/status/1326257193973395457
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